Friday, 29 November 2013

“दुर्घटना से सावधानी बेहतर”

दुनिया में आज जो बीमारियां महामारी का रूप ले चुकी हैं उनमें से सबसे खतरनाक है एड्स. एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम तो छोटा है लेकिन इसका परिणाम काफी भयावह है. यह बीमारी कईयों को मजे के रूप में मिलती है तो कई इसका शिकार गलती से हो जाते हैं. यह बीमारी इंसान को धीमी मौत मारती है. पर इसकी मौत इतनी भयावह होती है कि लोग इसके खौफ से ही मर जाते हैं. आज दुनिया भर में 34 करोड़ से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं.

एक नजर इस खौफनाक रोग के साम्राज्य पर
हाल ही में जारी हुए यूएन एड्स की रिपोर्ट में साफ हो गया है कि 2001 से लेकर 2010 तक दुनिया भर में एड्स रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. दुनिया भर में करीब 34 करोड़ लोग आज इस भयावह बीमारी के शिकार हैं.

इसके साथ ही हर साल इस बीमारी से करीब 2 करोड़ लोग जिंदगी की जंग हार जाते हैं. सहारा अफ्रीका और मध्य अफ्रीका में इस बीमारी का प्रकोप सबसे ज्यादा है. साथ ही इस बीमारी से महिलाएं ज्यादा पीड़ित हैं. एशिया में भी यह बीमारी दिनों-दिन अपने पांव पसार रही है. भारत में एड्स तेजी से फैल रहा है. भारत में 25 लाख लोग इससे पीड़ित हैं. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि भारत में अधिकतर लोग एड्स की चपेट में होने के बाद भी बिना इस बीमारी का इलाज करवाए जिंदगी जी रहे हैं जिससे उन्हें काफी खतरा है.

Aidsएड्स क्या‍ है?
एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है. यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता को कमज़ोर कर देता है. एड्स एच.आई.वी. पाजी़टिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंध से या संक्रमित रक्त या संक्रमित सूई के प्रयोग से हो सकता है.

एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का मतलब है, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है. हालांकि  इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको एड्स है. एच.आई.वी. पाजीटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है.

एड्स फैलने के कारण
एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संभोग करना इस मर्ज के प्रसार का एक प्रमुख कारण है. ऐसे संबंध समलैंगिक भी हो सकते हैं. अन्य कारण हैं:

* ब्लड-ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एच.आई.वी. संक्रमित रक्त के चढ़ाए जाने पर.
* एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से.
* एचआईवी पॉजिटिव महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान या फिर स्तनपान कराने से भी नवजात शिशु को यह मर्ज हो सकता है.
* इसके अलावा रक्त या शरीर के अन्य द्रव्यों जैसे वीर्य के एक दूसरे में मिल जाने से. दूसरे लोगों के ब्लेड, उस्तरा और टूथ ब्रश का इस्तेमाल करने से भी एचआईवी का खतरा रहता है.

एड्स के लक्षण
एड्स होने पर मरीज का वजन अचानक कम होने लगता है और लंबे समय तक बुखार हो सकता है. काफी समय तक डायरिया बना रह सकता है. शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म आदि हो सकते हैं.

एड्स संबंधित जांचें
* एलीसा टेस्ट
* वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट
* एचआईवी पी-24 ऐंटीजेन (पी.सी.आर.)
* सीडी-4 काउंट

एड्स का उपचार
* एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए आशावान होना अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसे भी लोग हैं जो एचआईवी/एड्स से पीड़ित होने के बावजूद पिछले 10 सालों से जी रहे हैं. अपने डॉक्टरों के निर्देशों पर पूरा अमल करें. दवाओं को सही तरीके से लेते रहना और एक स्वस्थ जीवनचर्या बनाये रखने से आप इस रोग को नियंत्रित कर सकते हैं.
* एच.ए.ए.आर.टी. (हाइली एक्टिव ऐंटी रेट्रो वायरस थेरैपी) एड्स सेंटर पर नि:शुल्क उपलब्ध है. यह एक नया साधारण व सुरक्षित उपचार है.

एड्स को लेकर भ्रम
कई लोग सोचते हैं कि एड्स रोगी के साथ उठने बैठने से यह रोग फैलता है तो यह गलत है. यह बीमारी छुआछूत की नहीं है. इस बीमारी को लेकर समाज में कई भ्रम हैं जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी है. जैसे:

एड्स इन सब कारणों से नहीं फैलता:
* घर या ऑफिस में साथ-साथ रहने से.
* हाथ मिलाने से.
* कमोड, फोन या किसी के कपड़े से.
* मच्छर के काटने से.

एड्स एक रोग नहीं बल्कि एक अवस्था है. एड्स का फैलाव छूनेहाथ से हाथ का स्पर्शसाथ-साथ खानेउठने और बैठनेएक-दूसरे का कपड़ा इस्तेमाल करने से नहीं होता है. एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ नम्र व्यवहार जरुरी है ताकि वह आम आदमी का जीवन जी सके.

कल एड्स का मतलब था जिंदगी का अंत, पर आज इसे एक स्थाई संक्रमण समझा जाता है, जिसे नियंत्रित किया जा सकता है. भविष्य में हो सकता है एड्स का इलाज संभव हो जाए इसलिए इस संदर्भ में होने वाली हर गतिविधि की जानकारी प्राप्त करते रहना हम सभी के लिए जरूरी है. वैवाहिक जीवन की मर्यादा और एक-दूसरे के प्रति विश्वास को बनाए रखना और सावधानी ही इस रोग से बचाव का एकमात्र उपाय है. एड्स की रोकथाम “दुर्घटना से सावधानी बेहतर” की तर्ज पर ही मुमकिन है.

1 comment:

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